मुक्कमल न हो सके

मुक्कमल न हो सके ख्वाब भी आँखों में अब नहीं आते। रह गए मुश्किल हालात, हल कोई नजर अब नहीं आते।। जिनसे माँगो मदद वही अपनी कामयाबी, किस्से सुनाते हैं बदल चुके जज्बात, मेरे हालात नजर उनको अब नहीं आते।। तितलियाँ और भँवरे जिस गुलशन को रोशन करते थे सूखे डंठल ताक,जान नीरस हमें वो … Read more

जागना है

जागना है बचपन में सोने के अठारह घण्टे मगर रात में बार बार जागना फिर खेलना कूदना लड़ना झगड़ना सोते सोते बोलना फिर जागना समझदारी आने लगी पढ़ना प्रारम्भ सबको छोड़ना पीछे,पड़ा जागना जवानी आ पहुँची,स्वप्न चिड़ियों से कहीं नोकरी तो दिल्लगी का जागना हुई पूरी मुराद अब हालात बदले है मगर फिर से कमाना,भागना, … Read more

हाशिये की रेखा

हाशिये की रेखा सफेद पृष्टभूमि पर दो रंग की रेखाएँ जो सामान्य में विशेष वे हाशिये की रेखाएँ लिखना होता है नियमों को ध्यान में रखकर नहीं तो गुरुजी बना देते थे गाल पे रेखाएँ निश्चित ही कुछ नियम होते थे मात्र पन्ने के भी वे रेखाएँ हासिए की थी जीवन की भी रेखाएँ आज … Read more

बरस चुके बादलों

बरस चुके बादलों के पानी को,क्यों न गन्दा किया जाए। खुद थोड़ा सा बेईमान बनकर क्यों न मशहूर हुआ जाए।। कोई नहीं सुनता आज जमाने भर में दिल की जुबान। तोड़ दी जाए सब हदे,चलो आज ही ये दस्तूर किया जाए।। लोग मानते ही नहीं है यहाँ किसी भी उसूल को आज तो क्यों न … Read more

हम कुछ न समझेंगे

हम कुछ न समझेंगे आखिर ये दुनियाँ समझाती किसे हैं। और तुम कहते हो सो जाएँ बताओ नींद भी आती किसे है। चाँद भी आ पहुँचा आसमाँ में अब तो सितारों के दरमियाँ देखते है ये दूरियाँ भी हम में सें पहले पास बुलाती किसे है। दस्तूर तो जरूर ही रहेगा तेरी मनाही का हम … Read more

चन्द ने तैरना सीख

लोगों ने हर मुश्किल से बचने का हर तरीका है देख लिया। चन्द ने तैरना सीख लिया तो बाकी ने किनारा देख लिया।। हम कतराए नहीं चन्द लोगो के साथ तैरने से कभी भी। मगर पाने को छौर किसी ने किसी का सहारा देख लिया।। हमारी तैराकी से खुश न थे कोई वो जो थे … Read more

बस समझ नहीं, खुद को कैसे संभालू।

गिरती हुई दीवारों का हमदर्द हूँ यारों बस समझ नहीं, खुद को कैसे संभालू। सूरज की रोशनी का साया हूँ यारों जाऊं अगर तो कहीं ठौर नही मुझको। चन्दा की शीतल रात की चमक हूँ यारों जलना चाहूँ तो भी तपन नहीं मुझमें। हरे भरे रंग के मैदानों की खुशी हूँ यारों यकीं नहीं आता … Read more

फिर भी रावण मरा नहीं

अदम्य साहस और निष्ठा से भी पुण्य भुवन पर भरा नहीं कितने प्रयास अकारथ हुए फिर भी रावण मरा नहीं सत्य अहिंसा स्नेह सीखा किंतु पुण्य धरा का कुछ हुआ नहीं सिखाए गए पाठ अगणित किंतु मन का रावण मरा नहीं सुपर्णखा नासिका विहीन हो गई किंतु लज्जा को ह्रदय धरा नहीं स्वर्ण सी लंका … Read more

मेरे गमों पे नजर तुम्हारी नम हुई के नहीं?

मेरे गमों पे नजर तुम्हारी नम हुई के नहीं? लबों की खुशियाँ बता तबाह हुई के नहीं? मैं आज क्यों ये भला सवाल तुमसे करूँ! मेरे यह जज्बात कोई गजल हुई के नहीं? ये शाम होते ही तेरा ख्याल दिल को आता हैं! यहाँ बहुत हुई,तेरे गाँव बारिशें हुई के नहीं? मैं आज भी यूँ … Read more