बरस चुके बादलों

बरस चुके बादलों के पानी को,क्यों न गन्दा किया जाए। खुद थोड़ा सा बेईमान बनकर क्यों न मशहूर हुआ जाए।। कोई नहीं सुनता आज जमाने भर में दिल की जुबान। तोड़ दी जाए सब हदे,चलो आज ही ये दस्तूर किया जाए।। लोग मानते ही नहीं है यहाँ किसी भी उसूल को आज तो क्यों न … Read more