हाशिये की रेखा

हाशिये की रेखा

सफेद पृष्टभूमि पर दो रंग की रेखाएँ
जो सामान्य में विशेष वे हाशिये की रेखाएँ

लिखना होता है नियमों को ध्यान में रखकर
नहीं तो गुरुजी बना देते थे गाल पे रेखाएँ

निश्चित ही कुछ नियम होते थे मात्र पन्ने के भी
वे रेखाएँ हासिए की थी जीवन की भी रेखाएँ

आज कहाँ है इस स्वच्छंद जीवन पृष्ठ पर बन्ध
अपनी अपनी सुविधाएँ अपनी अपनी रेखाएँ

शिरोरेखा होनी आवश्यक थी देवनागरी में
सुलेख,श्रुतिलेख,सस्वर पाठ की सुरेखाएँ

मार्ग भले सीधे सपाट दिखने लगे है अब
किंतु मानव मन जटिल ज्यों भोंदू की रेखाएँ

आवश्यकता है फिर नागरी बने सुपाठ्य
नियम जाने की अनिवार्य है हाशिए की रेखाएं

हरि ॐ

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