मुक्कमल न हो सके ख्वाब भी आँखों में अब नहीं आते।
रह गए मुश्किल हालात, हल कोई नजर अब नहीं आते।।
जिनसे माँगो मदद वही अपनी कामयाबी, किस्से सुनाते हैं
बदल चुके जज्बात, मेरे हालात नजर उनको अब नहीं आते।।
तितलियाँ और भँवरे जिस गुलशन को रोशन करते थे
सूखे डंठल ताक,जान नीरस हमें वो पास अब नहीं आते।।
हो जाती थी आँखें दो चार जब भी मिलते थे हम कहीं
अब आँखें कतराना हर बार, बीते दिन याद अब नहीं आते।।
दिन का होना फिर रात का होना,देखो कुछ भी नहीं बदला
फिर बदला क्या जो वो सावन वो सोमवार अब नहीं आते।।
दिन दिन अब उम्र का कम होना, उस मतलबी ज्यादा होना
क्या कहूँ “हरि ॐ”जागती आँखों के ख्वाब अब नहीं आते।।
हरि ॐ
हनुमान प्रसाद जांगिड़
02 दिसम्बर 2021