अदम्य साहस और निष्ठा से भी
पुण्य भुवन पर भरा नहीं
कितने प्रयास अकारथ हुए
फिर भी रावण मरा नहीं
सत्य अहिंसा स्नेह सीखा किंतु
पुण्य धरा का कुछ हुआ नहीं
सिखाए गए पाठ अगणित
किंतु मन का रावण मरा नहीं
सुपर्णखा नासिका विहीन हो गई
किंतु लज्जा को ह्रदय धरा नहीं
स्वर्ण सी लंका राख हो गई
किंतु लोभ का रावण मरा नहीं