अवकाश नियम

अवकाश नियम 

 कर्तव्य  सम्पादन ही अवकाष अर्जन का अधिकार देता है- आर. एस. आर. -57
 अवकाष प्राप्त करना अधिकार नही है, एक कर्मचारी उसे देय अवकाष को अधिकार के रूप में नही मांग सकता अवकाष स्वीकृत करने वाला अधिकारी जन हित में आवेदित अवकाष को अस्वीकृत कर सकता है ,कम कर दे ,या स्वीकृत अवकाष को खण्डित कर दे। लेकिन वह अवकाष की प्रकृति को नही बदल सकता है । नियम- 59
 उपयोग किये गये अवकाष की प्रकृति बदलने की कर्मचारी को सुविधा-90 दिन के अन्तर्गत कर्मचारी ऐसा प्रार्थना-पत्र दे सकता है ,अवकाष की प्रकृति बदलने पर वेतन वसूली योग्य बनता है तो वसूली की जायेगी । और वेतन देय बनता है तो भुगतान किया जायेगा ।
 अवकाषो से पूर्व सार्वजनिक अवकाष पडने पर कर्मचारी उपभोग करेगा ।
 अवकाष प्रार्थना-पत्र किसे प्रस्तुत किया जाये जो अवकाष में कमि या वृद्धि कर सकता हो उस सक्षम अधिकार को प्रस्तुत करें । विद्यालय में कार्यरत कार्मिक संस्था प्रधान को अपना अवकाष प्रार्थना -पत्र प्रस्तुत करेंगें। संस्था प्रधान अपने से उच्च अधिकारी जिला षिक्षा अधिकारी महोदय को प्रस्तुत करेंगे । नियम- 67
 प्राधिकृत चिकित्सक से रोग प्रमाण- पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।
 राजपत्रित कर्मचारी के मामले में 60 दिन तक का अवकाष चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर उससे अधिक का प्राधिकृत अधिकारी से उच्चतर अधिकारी या मुख्य चिकित्साधिकारी या समकक्ष से चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर प्रतिहस्ताक्षर करवाये गये हो और अवकाष की अनुषंषा की गयी हो इसके साथ जी0 ए0 45 संलग्न करना चाहिए । नियम -70
 भर्ती के मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी/इकाई प्रभारी से प्रतिहस्ताक्षरित होना चाहिए । नियम- 74
 अराजपत्रित अधिकारी को अवकाष – 1.जहाॅं एक प्राधिकृत चिकित्साधिकारी नही होने पर रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिषनर्स के प्रमाण-पत्र के आधार पर अवकाष लिया जा सकता है वह मेडीकल काउन्सिलं ऑफ  इडिया से पंजीकृत होना चाहिए ।
 (अ) सक्षम प्राधिकारी एक दूसरे चिकित्साधिकारी से राय ले सकता हे , ऐसे प्रकरण मुख्यसचिव /मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास प्रकरण भेजा जाना चाहिए।
 (ब)वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी की राय यथाषीध्र प्राप्त की जानी चाहिए एवं पूर्व के उपचार निदान के बारे में बयौरा अंकित किया जाना चाहिए
 होम्योपेथिक चिकित्सक का 15 दिन का प्रमाण- पत्र मान्य होगा । आदेष क्रमांक 16.10.89
 चिकित्सा प्रमाण पत्र अवकाष प्राप्त करने का अधिकार पत्र नही है । नियम 79
 15 दिन का चिकित्सा अवकाष बहिरंग रोगी को किसी भी चिकित्सा अधिकारी द्वारा दिया जा सकता है
 15 से 30 दिन का वरिष्ठ अधिकारी दे सकता है इसमें मूल अवधि षामिल होगी ।
 30 से 45 दिन तक वरिष्ठ विषेषज्ञ एव तत्् स्तर के अधिकारी ।
 45 दिन से अधिक दिन का अवकाष मेडिकल बोर्ड द्वारा दिया जा सकेगा । जिसमे मूल अवधि षामिल है ।
 आयुर्वेद चिकित्सक 15 दिन का एवं बाद में 7-7 दिन का कुल 29 दिन तक का चिकित्सा अवकाष दे सकता है ।
 29 से 45 दिन तक के लिए ’अ ’श्रेणी चिकित्सालय के वरिष्ठ विषेषज्ञ/जिला आयुर्वेद अधिकारी अवकाष दे सकता है ।
 जहाॅं आवष्यक हो महिला चिकित्सक की राय आवष्यक सदस्य के रूप में ली जानी चाहिए ।
 आयुर्वेद के अन्तरंग रोगी के लिए 30 दिन से अधिक पर प्रभारी के प्रतिहस्ताक्षर होने चाहिए ।
 चिकित्सा अवकाष उपभोग के बाद सेवा पर उपस्थिति के समय आरोग्य प्रमाण-पत्र दिया जाना चाहिए उसके बिना कार्य ग्रहण नही करवाये ।
 बार बार चिकित्सा अवकाष लेने वाले कार्मिक के मामले में कि वह अनाधिकृत रूप से मेडिकल ले रहा है चिकित्सा बोर्ड से जाॅंच करवायी जा सकती है । ऐसा तत्काल किया जाना चाहिए।
 एक राज्य कर्मचारी को 20 अर्द्धवेतन अवकाष कार्यग्रहण तिथि से एक वर्ष में जोडे जायेगे । उपभोग करने पर दोगुनी मात्रा में काटे जायेगें।
 आकस्मिक अवकाष
 स्थायी राज्य कर्मचारी को एक वर्ष में 15 आकस्मिक अवकाष देय है ।
 एक बार में 10 आकस्मिक अवकाष ले सकता है ।
 आकस्मिक अवकाष को मान्यता नही है और किसी नियम के अधीन नही है
 राज्य कर्मचारी को आधे दिन का आकस्मिक अवकाष भी दिया जा सकता है ।
 तीन दिन तक लगातार 10 मिनिट विलम्ब से आने वाले कर्मचारी का 1 आकस्मिक अवकाष काटा जायेगा ।
 अवकाष स्वीकृति से पूर्व मुख्यावास नही छोडना चाहिए । अवकाष प्रार्थना-पत्र में अवकाष कालीन पता एवं मोबाइल नम्बर अनिवार्य रूप से लिखे । अवकाष पते में परिवर्तन की सूचना कार्यालयाध्यक्ष को देनी चाहिए। नियम- 60
 निष्कासित किये जाने वाले कर्मचारी का अवकाष स्वीकृत नही किया जाना चाहिए जिसे असामान्य व्यवहार/सामान्य अयोग्यता के आधार पर निष्कासित किये जाने की सम्भावना है । नियम- 82
 निलम्बित कर्मचारी को किसी प्रकार का अवकाष स्वीकृत नही किया जावे, मुख्यावास छोडने की अनुमति मांगने पर दी जानी चाहिए ।
 एक कर्मचारी अपने स्वीकृत अवकाष से पूर्व सेवा पर उपस्थित नही हो सकता जब तक अवकाष स्वीकृत करने वाला उसे सेवा पर उपस्थित होने का आदेष नही देता । नियम- 85
 एक कर्मचारी बिना अवकाष स्वीकृति के अपने कर्तव्य  से अनुपस्थित रहता है तो उसे ’’ कर्तव्य  से जान बूझकर अनुपस्थित रहा ’’मानकर ऐसी अनुपस्थिति को सेवा में ’’व्यवधान ’’ मानते हुए पिछली सेवाए जब्त की जा सकेगी  जब तक अनुपस्थिति का सन्तोष जनक जबाब नही दिया जायेगा नियम 86 (1)
 एक कर्मचारी जो अवकाष की समाप्ति के बाद या अवकाष वृद्धि को मना कर देने के बाद अपने कर्तव्य  पर अनुपस्थित रहता है , तो अनुपस्थित माना जायेगा एवं इस अवधि का किसी प्रकार का वेतन आहरित नही किया जायेगा ऐसी अवधि को असाधारण अवकाष में परिवर्तित कर दिया जायेगा जब तक सन्तोषप्रद जवाब नही दिया गया हो । एवं अवकाष स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी द्वारा अवकाष स्वीकृत नही कर दिया जाता है। नियम 86(2)
 नियम 86 (1)नियम 86(2) के अन्तर्गत अनुषासनिक प्राधिकारी ऐसे राज्य कर्मचारी के विरूद्ध वर्गीकरण नियन्त्रण एवं अपील नियमों  के अनुसार विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ कर सकता है, जो अपने पद से एक माह से अधिक समय से स्वैच्छिक अनुपस्थित चल रहा है । ऐसा आरोप सिद्ध होने पर सेवा से निष्कासित (रिमूव्ड) कर दिया जावे । विषेष परिस्थिति को छोडकर राज्य सरकार एक कर्मचारी को 5 वर्ष से अधिक तक निरन्तर बिना अवकाष के अनुपस्थित रहता है तो वैदेषिक सेवा के अतिरिक्त तो सेवा से त्याग पत्र दिया हुआ माना जायेगा । इस नियम को लागू करने से पूर्व कर्मचारी को उचित अवसर दिया जाना चाहिए की अपनी अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट कर सके ।
 राजकीय निर्णय- कत्र्तव्य से स्वेच्छापूर्वक अनुपस्थित पर कार्यवाही – सेवा से स्वैच्छापूर्वक अनुपस्थिति चाहे उस अवधि को अवकाष स्वीकृत कर आवृत नही कर दिया गया हो पदाधिकार को समाप्त नही करती । ऐसी अनुपस्थिति को सेवा अवधि को समस्त प्रयोजनो के लिए वार्षिक वेतन वृद्धि ,अवकाष एवं पेंषन आदि के लिए सेवा का षून्य काल माना जायेगा । केवल अकेली स्वेच्छा से अनुपस्थिति ही हो अवधि को पेंषन प्रयोजनों के लिए सेवा में व्यवधान (Interruption ) माना जायेगा, तथा पूर्व की सेवा जब्त (forfeited )  मानी जायेगी ।
स्वीकृत अवकाष से अधिक समय रूकने पर  भी अनुषासनिक अधिकारी राजस्थान नागरिक सेवाएॅं (वर्गीकरण , नियन्त्रण एवं अपील ) नियम 1958 के अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए ऐसे कर्मचारी के विरूद्ध अनुषासनात्मक कार्यवाही कर कोई षास्ति (दण्ड) आरोपित कर सकता है ,चाहे ऐसी अवधि एक दिन ही क्यो नही हो ।
नियम- 87 प्रत्येक राज्य कर्मचारी का अवकाष लेखा आर.एस.आर.सेवा नियम 160 (2) के अनुसार उस प्राधिकारी के पास होगा जिसको सेवा पुस्तिकाएॅं अपनी सुरक्षा में रखने की जिम्मदारी दी गयी है ।
संस्था प्रधान के मामले में प्रभारी का नाम व मोबाइल नम्बर भी अनिवार्य रूप से लिखवाये ।
 बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने ,अन्त्येष्टि में जाने पर अवकाष की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की जा सकेगी ।
 षिक्षको के लिए आकस्मिक अवकाष की गणना 1 जुलाई से 30 जून तक की जाती है, और मंत्रालयिक के लिए 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक ।
 आकस्मिक अवकाष इस प्रकार नही दिया जाना चाहिए 1. वेतन एवं भत्ते की गणना 2. वेकेषन के क्रम में आकस्मिक अवकाष स्वीकृत नही किया जायेगा । नियम- 2 दिनांक 02.02.1971
 मंत्रालयिक कर्मचारी को रविवार माह के द्वितीय षनिवार अथवा अन्य राजपत्रित अवकाषों में सक्षम अधिकारी द्वारा लिखित में अनिवार्यतः आदेषित करने पर की कर्मचारियों को राजकीय कार्य निपटाने हेतु उपस्थित होना है के एवज में कार्य पर उपस्थित होने पर सी.सी.एल.( compensatory  casual leave ) देय है । परन्तु उक्त आदेष दण्डादेष के रूप में नही होना चाहिए । उक्त क्षतिपूर्ति लिपिक वर्गीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर ही लागू होंगे यह आदेष अधिकारियों के निजी सहायक वर्गपर लागू नही होगा । जैसे आषु लिपिक गण, न्यायालयों के वाचकगण ,रीडर आदि । उक्त निर्देष या अन्य छुट्टी के दिन उपस्थित होने के लिए किसी प्रकार का वाहन व्यय या अतिरिक्त वेतन स्वीकृत नही होगा ।
राजपत्रित अवकाष के दिन संग्रहालय खुलने पर क्षतिपूर्ति अवकाष देय है । षिक्षा विभाग के आदेष दिनांक 4 मई 1979 के अनुसार संग्रहालयों में कार्यरत कर्मचारियों  को भी अवकाष के दिनों में संग्रहालय खुले रहने की स्थिति में क्षति पूर्ति अवकाष देय होगा ।
राजपत्रित अवकाष के दिन पुस्तकालय खुलने पर क्षतिपूर्ति अवकाष देय है । षिक्षा विभाग के आदेष क्रमांक संख्या प. 11(14) षिक्षा 2/73 दिनांक 16 जून 1977 के अनुसार समस्त विद्यालयों के पुस्तकालयाघ्यक्षांे को सार्वजनिक पुस्तकालयांें में कार्यरत अराजपत्रित कर्मचारी , मंत्रालयिक तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को द्वितीय षनिवार के एवज में एक दिन का क्षतिपूर्ति अवकाष दिया जा सकेगा ।
चौकीदार को क्षतिपूर्ति अवकाष- चौकीदारों को 15 दिन में 24 धण्टे का विश्राम देय है यदि उन्हे इस दिन भी बुलाया जाता है तो उसके एवज में क्षतिपूर्ति अवकाष देय होगा । अन्य अवकाष एवं रविवार के दिन कार्य की एवज में क्षतिपूर्ति अवकाष देय नही है। (राज्य सरकार के आदेष दिनांक 03.08.1977 के अनुसार )
 दो कलेण्डर वर्ष का आकस्मिक अवकाष एक साथ ले सकेगें पर अवकाष की सीमा 10 से अधिक नही होगी । आदेष दिनांक 02.04.1991
 सेवाए 3 माह व कम होने पर 3 दिन
 3 माह से अधिक सेवा पर 7 दिन
 सेवानिवृति वर्ष में 01.01.2002 से प्रभावी
 3 माह व कम 5 दिन
 3 माह से अधिक 6 माह से कम 10 दिन
 6 माह से अधिक 15 दिन
 परिवीक्षाधीन कर्मचारी
 जून 2002 या इसके पष्चात् दो से अधिक सन्तान होने पर अभ्यर्थी राजकीय सेवा में नियुक्ति का पात्र नही होगा ।
 नव नियुक्त परिवीक्षाधीन कर्मचारी एक कलेण्डर वर्ष पर 15 आकस्मिक अवकाष ही देय होंगे । कलेण्डर वर्ष की अपूर्णता की स्थिति में आनुपातिक आधार पर उसके द्वारा प्रतयेक पूर्ण माह की सेवा के एवज में सेवा आकस्मिक अवकाष का लाभ देय होगा । अर्थात् एक माह की एक वह भी माह की समाप्ति पर अन्यथा अवैतनिक होगा । कलेण्डर वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसम्बर मान्य ।
 परिवीक्षा अवधि समाप्ति पर स्थायी करण होने पर स्थायीकरण तिथि से नियमित राज्य कर्मचारी को देय अवकाष सुविधा मिलेगी ।
 परिवीक्षाधीन प्रषिक्षणार्थी को परिवीक्षा की अवधि के अन्तर्गत नियत पारिश्रमिक के अतिरिक्त किसी भी प्रकार के भत्ते (विषेष भत्ते मंहगाई भत्ता,मकान किराया, मैस भत्ता,षहरी क्षति पूर्ति भत्ता,धुलाई भत्ता वर्दी भत्ता बोनस आदि) देय नही होंगे
 परिवीक्षाधीन प्रषिक्षणार्थी को पदि प्रतिनियुक्ति पर वैदेषिक सेवा में प्रषिक्षण के लिए लगाया जाता है तो उसे प्रतिनियुक्ति भत्ता देय नही होगा ।
 परिवीक्षाधीन कालावधि में प्रषिचणार्थी को मेडिक्लेम बीमा योजना का कवरेज मिलेगा ।
 परिवीक्षाधीन प्रषिखणार्थी को देय नियत पारिश्रमिक पर 1जनवरी 2017 से 10 प्रतिषत की दर से नवीन अंषदायी पेंषन योजना में अंषदान की कटौति होगी तथा नियोक्ता द्वारा समान अंषदान दिया जायेगा ।
 नियमित राज्य सेवा में चल रहे परिवीक्षाधीन प्रषिक्षणार्थी को अपने पूर्व के पद के चालू में वेतन एवं ग्रेड वेतन प्राप्त करने का विकल्प प्रस्तुत करता ह,ै उसे परिवीक्षाधीन अवधि में पूर्व के पद के विद्यमान वेतनमान पर वार्षिक वेतन वृद्धि देय होगी ।
 आर0 एस0 आर0 1951 के नियम 122 (ए) के अनुसार नियमित राजकीय सेवा में चल रहे परिवीक्षाधीन अवधि में अन्य किसी भी प्रकार का अवकाष अर्जित नही करेगा ।
 षासन उपसचिव-प्रथम षिक्षा ग्रुप-2 विभाग के पत्रांक प.17(2)षिक्षा -2/2008 दिनांक 18.10.12 द्वारा प्रदत मार्गदर्षनानुसार नवनियुक्त परिवीक्षाधीन प्रषिक्षणार्थी जो पूर्व में राज्य कर्मचारी होने के कारण उनके अवकाष खाते में पूर्व अर्जित अवकाष स्वत्व बकाया है तो पूर्व अर्जित अवकाष उपयोग की अनुमति दिए जाने का निणर््य सम्बन्धित नियन्त्रण अधिकारी द्वारा लिया जायेगा ं एवं ऐसे अवकाष की स्वीकृति नियन्त्रण अधिकारी द्वारा दिये जाने पर परिवीक्षा पर कोई प्रभाव नही पडेगा ।
 पी. एल. एवं एम. एल. 3 वर्ष तक देय नही है ।
 परिवीक्षाधीन कर्मचारी किसी भी प्रकार का अवकाष अर्जन नही करेगा ।
 परिवीक्षाधीन महिला कर्मचारी को नियम 103 व 104 के अन्तर्गत प्रसूति अवकाष देय है ।
 पुरूष परिवीक्षाधीन कर्मचारी को पितृत्व अवकाष नियम 103 ( ए )के अनतर्गत देय है।
 आर0 एस0 आर0 1951 के नियम 96 (बी) तहत तीन माह तक का असाधारण अवकाष अवैतनिक नियुक्त अधिकारी द्वारा छूट प्रदान की गयी थी ऐसे में परिवीक्षा की अवधि में बढोतरी नही होती
 परन्तु वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक -F.1(2)FDRULES06 PART -1 DATE 11-06-14   एवं संषोधित अधिसूचना क्रमांक F.1(2)FDRULES06 PART -1 DATE 06-08-14  के द्वारा 30 दिन सीमित कर दिया गया है, अब 30 दिन से अधिक का अवैतनिक अवकाष लेने पर जितने दिन अधिक अवकाष है उतने दिन परिवीक्षा अवधि बढ जायेगी ं।
 3 माह तक नियुक्ति अधिकारी एवं 1 साल तक प्रषासनिक विभाग देगा । अपवादिक एवं अपरिहार्य परिस्थ्तिियों में एक वर्ष से अधिक का असाधारण अवकाष कार्मिक एवं वित्त विभाग की पूर्वानुमति से स्वीकृत किया जा सकेगा ं।
 परिवीक्षा काल की अवधि नियमित नियुक्ति मानी जायेगी जो की पदोन्नति एवं ए0 सी0 पी0 में सेवा अवधि की गणना के लिए मान्य होगी कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक-f-7(2)DOP/a-ii/2005DATED26-04-2011

 विषिष्ट आकस्मिक अवकाष –
 बन्ध्याकरण के लिए पुरूष 6 दिन महिला को 14 दिन का विषिष्ट अवकाष देय है । यह अवकाष सी. एल. के साथ देय नही है । यह अवकाष लाल स्याही से सेवा पुस्तिका में लिखा जायेगा ।
 उस पुरूष कर्मचारी को 7 दिन का विषिष्ट अवकाष देय है जिसने बन्ध्याकरण करवाया है ।
 बन्ध्याकरण के असफल होने पर पुनः आपरेषन करवाने पर 6 दिन का चिकित्सक की राय के आधार पर देय होगा । जिस तरह पुरूष कर्मचारियों को उनकी पत्नी के बन्घ्याकरण आॅपरेषन करवाने पर 7 दिन का विषिष्ट आकस्मिक अवकाष देय है उसी तरह महिला राज्य कर्मचारियों को भी उनके पति के बन्ध्याकरण आॅपरेषन करवाने पर विषिष्ट आकस्मिक अवकाष दिया जाना चाहिए ।
 निरोधावकाष-21 से 30 दिन तक का अवकाष परिवार में छूत रोग होने पर विषिष्ट आकस्मिक अवकाष मेडिकल के आधार पर देय है ।
 स्वाईन फल्यू होने पर 7 दिन का विषिष्ट आकस्मिक अवकाष देय है ।
 प्रसूति अवकाष नियम 103 ए
 प्रसूति अवकाष नियम 103 दो से कम उत्तरजीवी सन्तानांे वाली किसी महिला कर्मचारी को प्रारम्भ की तारीख से 180 दिन का अवकाष देय है ।
 दो बार उपभोग करने पर भी उत्तरजीवी सन्तान नही हो तो प्रसूति अवकाष एक बार और स्वीकृत किया जा सकता है ।
 पहली बार में जुडवां सन्तान होने पर दो इकाई मानी जायेगी ।
 पहली बार मे एक दुसरी बार में जुडवां सन्तान होने पर एक इकाई मानी जायेगी । सेवा पुस्तिका में ऐसे अवकाष की अलग से लाल स्याही से प्रविष्टी की जायेगी ।
 समय पूर्व प्रसव के कारण निःषक्त बच्चा होने पर बच्चों की संख्या की गणना में षामिल नही किया जायेगा ।
 एसीपी स्वीकृति हेतु बच्चो की संख्या की गणना में समय पूर्व प्रसव के कारण दिव्यांग सन्तान को षामिल नही किया जायेगा । एफ.14(88)वित्त(नियम)2008प्रथम एवं द्वितीय दिनांक 16.112011
 षिषु गृह से ली गयी दत्तक गृहीत सन्तान के कारण सन्तानों की संख्या दो से अधिक हो जाती ह,ै तो दत्त्क गृहीत सन्तान को सन्तानों की संख्या में नही माना जायेगा ।
 ऐसे किसी व्यक्ति की पदोन्नति पर3वर्ष तक विचार नही होगा- व्यक्ति की पदोन्नति पर उस तारीख से जिसको उसकी पदोन्नति देय हो जाती है 3 भत्र्ती वर्षो तक विचार नही किया जायेगा यदि उसके 1 जून 2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हो ।
 दत्तक ग्रहण अवकाष ;ब्भ्प्स्क् ।क्व्च्ज्प्व्छ स्म्।टम्द्ध दो से कम जीवित सन्तान होने पर एक महिला राज्य कर्मचारी को एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे की वैध दत्तक ग्रहण करने की दिनांक से 180 दिन की अवधि का दत्त्क ग्रहण अवकाष स्वीकृत किया जा सकेगा । इस अवकाष की अवधि में सरकारी कर्मचारी को उसके अवकाष पर प्रस्थान करने से पूर्व के समान वेतन का भुगतान किया जायेगा । दत्तक अवकाष को कर्मचारी के अवकाष लेखें में नही लिखा जायेगा ।
 प्रसूति अवकाष गर्भपात एबोर्षन के व रक्तस्राव मामले में भी स्वीकृत किया जा सकेगा, जिसकी अवधि 6 सप्ताह या 42 दिन चिकित्सक प्रमाण- पत्र आवष्यक है ।
 अधूरे गर्भपात के मामले में यह अवकाष देय नही है ।
180 दिन का प्रसूति अवकाष स्वीकृत करने में कार्यालयाध्यक्ष सक्षम है ।
 अस्थायी/संविदा महिला कर्मचारी को भी प्रसूति अवकाष देय है ।
 प्रसूति अवकाष अन्य अवकाषों के साथ भी लिया जा सकता है ।
 कार्य ग्रहण करते समय आरोग्य प्रमाण-पत्र देना होगा ।
 पितृत्व अवकाष -नियम 103 बी
 दो उत्तरजीवी सन्तान तक दो बार पितृत्व अवकाष स्वीकृत होगा बच्चे के जन्म के 15 दिन पूर्व से 3 माह की अवधि में यह देय है ।
 यह अवकाष सवैतनिक होगा यह अवकाष गर्भपात होने पर देय नही है ।
 बन्ध्याकरण करवाने पर पुरूष 6 दिन एवं महिला कर्मचारी को 14 दिन का अवकाष देय है ।
 पुरूष राज्य कर्मचारी जिसकी पत्नी ने बन्ध्याकरण आपरेषन करवाया है, 7 दिन का विषेष अवकाष देय है ।
 ट्यूबक्टोमी षल्य चिकित्सा बिगडने पर दुबारा षल्य चिकित्सा करवाने पर 14 दिन का आकस्मिक अवकाष देय है ।
 पुनर्नालीकरण त्मबंदसपेंजपवद आपरेषन करवाने पर 21 दिन का विषेष आकस्मिक अवकाष देय होगा ।
 महिला कर्मचारी को लूप लगवाने पर 1 दिन का विषेष आकस्मिक अवकाष देय है ।
चाइल्ड केयर लीव ( नियम 103 सी )
 वित्त विभाग नियम अनुभाग राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान सेवा चतुर्थ संषोधन नियम 2018 नियम 103 सी चाइल्ड केयर लीव विषयक अधिसूचना क्रमांक प.1(6)/वित्त/नियम /2011जयपुर दिनांक 22मई 2018
 एक महिला कर्मचारी को सम्पूर्ण सेवा काल में 730 दिवस (अधिकतम दो वर्ष ) का चाइल्ड केयर लीव सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जा सकेगा ।
 बच्चे से आषय (1) 18वर्ष से कम आयु का बच्चा ( 2) 40 प्रतिषत निःषक्त सन्तान जिसकी अधिकतम आयु 22 वर्ष तक की आयु तक बीमारी के समय देखभाल/विकलांगता के कारण बच्चें का लालन-पालन ,बच्चे की सैकण्डरी /सीनियर सैकण्डरी /षिक्षण कार्य के समय देखभाल तथा 3 वर्ष की आयु के बच्चे का पालन करने हेतु चाइल्ड केयर लीव स्वीकृत की जा सकती है ।
 यह अवकाष किसी भी अन्य अवकाष के साथ स्वीकृत किया जा सकता है ।
 एक महिला कर्मचारी को एक समय में 120 दिन का अवकाष पूर्ण वेतन पर स्वीकृत किया जा सकता है । बच्चों की किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सालय में टी बी, कैंसर रोग, कोढ तथा मानसीक रोग के निदान की चिकित्सा के लिए एक समय में 300 दिवस तक का चाइल्ड केयर लीव देय होने पर दिया जा सकता है ।
 यह अवकाष अधिकार के रूप में नही मांगा जा सकता है । यह अवकाष एक कलेण्डर वर्ष में 3 बार से अधिक अवधि के लिए नही लिया जा सकता है ।
 एक कैलेण्डर वर्ष में ष्षुरू होकर यदि अवकाष दुसरे कैलेण्डर वर्ष में पूर्ण होता है तो तो डस स्पेल (व्यतीत) अवकाष कोषुरू होने वाले वर्ष में काउण्ट किया जायेगा ।
 परिवीक्षाधीन अवधि में साधारण्तया यह अवकाष स्वीकृत नही किया जयेगा । असाधारण परिस्थितियों में यदि यह अवकाष स्वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा अवधि में वृद्धि की जायेगी ।
 यह अवकाष उपार्जित अवकाष के समान मानते हुए स्वीकृत किया जायेगा ।
 महिला कर्मचारी को चाइल्ड केयर लीव के दौरान अवकाष पर प्रस्थान करने से पूर्व प्राप्त वेतन के समान दर पर अवकाष वेतन की हकदार होगी ।
 राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप में अवकाष आवेदन सक्षम अधिकारी को पर्याप्त समय पर्व प्रस्तुत करना होगा ।
 किसी भी परिस्थिति में अवकाष स्वीकृति अधिकारी की पूर्वानुमति के बिना काई महिला कर्मचारी अवकाष का उपभोग नही करेगी ।
 चाइल्ड केयर लीव कत्र्तव्य से अनाधिकृत अनुपस्थिति के पष्चात् आवेदन करने परकिसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नही होगी ।
 महिला कर्मचारी द्वारा पहले से उपभोग किये जा चुके अथवा उपभाग किये जा रहे अवकाषों को किसी भी परिस्थिति में चाइल्ड केयर लीव में परिवर्तित नही किया जा सकेगा ।
 चाइल्ड केयर लीव को किसी अन्य अवकाष लेखें में नामें नही लिखा जायेगा । राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रपत्र में इसका पृथक् अवकाष लेखा संधारित किया जायेगा । और इसे सेवा पुस्तिका में चस्पा किया जायेगा ।
 अवकाष स्वीकृति अधिकारी राजकार्य के सुचारू संचालन अथवा विभागीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अवोदित अवकाष को अस्वीकृत कर सकता है ।
 चाइल्ड केयर लीव रविवार और अन्य अवकाषो को इस वकाष के पहले अथवा बाद में जोडा जा सकेगा । चाइल्ड केयर लीव के मध्य में आने वाले रविवार ,राजपत्रित और अन्य अवकाष अपार्जित अवकाष की तरह ही चाइल्ड केयर लीव में काउण्ट होंगे।
 निःषक्त बच्चे के सम्बन्ध में अवकाष स्वीकृति से पूर्व सक्षम प्राधिकारी /मेडिकल बोर्ड से जारी निःषक्तता प्रमाण- पत्र के अलावा महिला कार्मिक पर बच्चे के आश्रित होने का प्रमाण-पत्र महिला कर्मचारी से लिया जायेगा ।
 विदेष मे रह रहे बच्चे की अस्व्थता अथवा परीक्षा आदि की स्थिति में अवकाष अधिकृत चिकित्सक /षिक्षण संस्थान से प्राप्त प्रमाण-पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जा सकेगा ।
 विदेष में रह रहे अवयस्क बच्चे के सम्बन्ध में अवकाष लेने पर विदेष यात्रा सम्बन्धि अवकाष् नियम /निर्देषें का पालन करना होगा । 80 प्रतिषत अवकाष अवधि उसी देष में बितानी होगी जहाॅं बच्चा रह रहा है ।
 देष या विदेष में किसी छात्रावास में रह रहे किसी बच्चे की परीक्षा आदि के दौरान अवकाष चाहे जाने पर महिला कार्मिक को यह स्पष्ठ करना होगा की वह बच्चे की देखभाल किस प्रकार से करेंगी ।
 चिकित्सा अवकाष 3 साल पहले नही मिलेगी । अर्द्धवेतन अवकाष जो कि कार्मिक की नियुक्ति तिथि से एक वर्ष में 20 देय है । यह कितने भी संचित किये जा सकते है ।
 उपार्जित अवकाष-एक स्थायी राज्य कर्मचारी को वर्ष में 15 उपार्जित अवकाष देय है अवकाष कलेण्डर षिक्षकों के लिए 1 जनवरी से 31 दिसम्बर है । प्रतिमाह की सेवा पर सेवा के हिसाब सें ।
 मंत्रालयिक कर्मचारी के लिए अवकाष एक जनवरी एवं एक जुलाई को 15 अग्रिम रूप से अवकाष लेखे में जोडा जायेगा । नियम -91
 लेखा मद मांग संख्या 15 लेखा मद 2071 पेंषन एवं सेवानिवृति हित लाभ 01 सिविल सेवा 115 छुट्टी नकदीकरण हितलाभ ं
 एक कर्मचारी अपने सम्पूर्ण सेवाकाल में 300 अवकाष तक जमा कर सकता है जिनका सेवानिवृति पर नकदीकरण किया जायेगा। एवं उस समय देय महॅगाई की दर पर स्वीकृत किया जायेगा।ं नियम -97
 10 दिन के अवेतनिक अवकाष पर 1 उपार्जित अवकाष कम कर दिया जायेगा । जिसकी सीमा 15 से अधिक नही होगी ।
 मंत्रालयिक कर्मचारी को 300 से अधिक उपार्जित अवकाष होने पर 6 माह की अवधि में अवकाष के रूप में उपभोग करने का अधिकार होगा उसके बाद स्वतः ही व्ययपगत मानी जायेगी ।
 लेकिन 15 दिन का अवकाष नकदीकरण के समय 300 में से ही कम की जायेगी न की 300 से अधिक मंे से ।
 प्रत्येक स्थायी राज्य कर्मचारी को 15 दिन का उपार्जित अवकाष प्रतिवर्ष नकदीकरण का लाभ देय है । सेवा पुस्तिका में लाल स्याही से इन्द्राज करे ।
 षीतकालीन एवं मध्यावधि/ग्रीष्मावकाष में कार्य करने एवं प्रषिक्षण में भाग लेने के एवज में प्रति 3 दिवस पर एक दिन का उपार्जित अवकाष कर्मचारी के लेखे में जोडा जायेगा परन्तु एक कलेण्डर वर्ष में 30 से अधिक अवकाष कदापि नही जोडे जाये । अवकाष का उपभोग करने पर एक दिन में एक कम किया जायेगा । नियम 92 (ब)
 120 दिन का उपार्जित अवकाष एक साथ लिया जा सकता है । 14 दिन पूर्व अनिवार्य रूप से स्वीकृत करवाना होता है । ऐसे अवकाष सेवा पुस्तिका में अवकाष लेखे में से व्ययपगत किये जायेेंगे ।
 टी बी/कैंसर/मानसिक रोग/के निदान के मामले में 180 दिन का उपार्जित अवकाष देय है ।
 आर. एस. आर. नियम 50/53 के अनुसार अनिवार्य सेवानिवृति पर उपार्जित अवकाष देय है । बषर्ते किसी दण्ड स्वरूप न हो ।
 अदेय अवकाष-सेवानिवृति से पूर्व अवकाष मामलों को छोडकर स्वीकृत किया जा सकता हे।
अर्द्ध वेतन अर्जित कर सके । कुल 360 दिन का 180 दिन मेडिकल आधार पर षेष अन्य आधार पर एक बार में 90 दिन से अधिक नही ं। स्थायी सेवा के राज्य कर्मचारी को निम्नांकित षर्तो पर स्वीकृत किया जा सकजा है ।
क- अवकाष स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी इस बात से सन्तुष्ट हो कि ऐसा कर्मचारी अदेय अवकाषों से अवकाष की समाप्ति के बाद सेवा पर वापस उपस्थित हो जायेगा ।
ख -अदेय अवकाषों की संख्या उस अनुमोदित संख्या से अधिक नही होगी जों एक राज्य कर्मचारी ऐसे अवकाषेों से वापिस आकर उतनी ही संख्या में अर्द्ध वेतन अवकाष अर्जित कर सके ।
ग-सम्पूर्ण सेवाकाल में 360 दिन से अधिक अदेय अवकाष नही दिया जायेगा जिसमें से एक समय में 90 दिन से अधिक का नही होगा तथा 180 दिन तक का अवकाष चिकित्सा प्रमाण-पत्र के आधार पर तथा षेष अन्य कारणों से स्वीकृत किया जा सकता है । चिकित्सा प्रमाण-पत्र बीमारी के आधार पर अदेय अवकाष प्राप्त करने के लिए कर्मचारी को एक प्राधिकृत चिकित्सक से प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा ।
ध-अदेय अवकाष स्वीकृत किये जाने पर कर्मचारी के अर्द्ध वेतन अवकाषों के खाते में नामे लिखा जायेगा तथा उसका समायोजन ऐसे कर्मचारी द्वारा अदेय अवकाषों के उपभोग के बाद भविष्य में अर्जित किये जाने वाले अर्द्धवेतन अवकाषों से किया जायेगा । नियम 93 (3) ग तथा ध
नियमित नियुक्ति के बाद 3 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर इस नियम के उपनियम 2 तथा 3 में वर्णित रूपान्तरित अवकाष तथा अदेय अवकाष स्वीकार किये जा सकेगें ।
जब किसी कर्मचारी को इस नियम के उपनियम 2 अथवा 3 के अन्तर्गत अवकाष अथवा अदेय अवकाष स्वीकृत किया गया है और ऐसे कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाती है अथवा सेवा नियम 228 के अन्तर्गत असमर्थता के आधार पर सेवा से निवृत कर दिया जाता हो अथवा सेवानियम 244(2) के अनुसार अनिवार्य रूप से सेवा निवृत कर दिया जाता हो तो उससे अवकाष वेतन सम्बन्धी कोई वसूली, यदि बनती हो ,तो नही की जायेगी । अन्य समस्त मामलों में जैसे त्याग-पत्र , स्वैच्छिक सेवानिवृति प्राप्त करने ,सेवा से निष्कासित करने अथवा बर्खास्त आदि के मामलों में अवकाष वेतन की वसूली, यदि नियमों के अनुसार बनती हो तो अवष्य की जायेगी ।
टीबी रोग से ग्रस्त कर्मचारियों की असाधारण अवकाष के बदलें मे अर्द्ध वेतन की सुविधा -जब एक कर्मचारी टीबी रोग के उपचार के लिए असाधारण अवकाष प्राप्त करता है एवं वह स्वस्थ होकर अपने पद का कार्य भार वापिस ग्रहण कर लेता है,ऐसे कर्मचारी द्वारा पूर्व में उपभोग किये गये असाधारण अवकाषों के बाद अर्जित अर्द्ध वेतन अवकाषों में परिवर्तन कर दिया जावेगा अथवा अर्द्धवेतन अवकाषों के लेखों मे समायोजित कर दिया जायेगा । ऐसी चिकित्सा के लिए उसे राजकीय चिकित्सालय के प्राधिकृत/प्रषासनिक अधिकारी/विषेषज्ञ द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण-पत्र प्राप्त करना पडेगा कि वह उसके उपचार में है तथा अवकाष की समाप्ति के बाद कर्मचारी के पूर्ण स्वस्थ होने की पूर्ण सम्भावना है ।
असाधारण अवकाष -निम्नांकित विषेष परिस्थितियों में एक राज्य कर्मचारी को असाधारण अवकाष दिया जा सकता है । 1. जब नियमों के अन्तर्गत उसे कोई अन्य अवकाष/स्वीकृत नही हो अथवा
2. जब अन्य अवकाष प्राप्त किये जा सकते हो । किन्तु कर्मचारी स्वयं असाधारण अवकाष स्वीकृत करने के लिए आवेदन करता हो । नियम 96 (क)
 अन्य अवकाष बकाया होने पर विषेष परिस्थितियों में ही असाधारण अवकाष स्वीकृत होगा । (दिनांक 16 फरवरी 1995)
 अध्ययन अवकाष – नियम 115
 तीन वर्ष से कम की सेवा और 20 वर्ष के बाद अध्ययन अवकाष स्वीकृृत नही किये जायेंगे ।
 अधितम 2 वर्ष की अवधि तक ही स्वीकृत किया जा सकेगा । विषेष परिस्थिति में राज्य सरकार जनहित मे 3 साल तक बढा सकती है ।
 अवकाष एम. एल./पी. एल. के रूप में सवैतनिक हो सकते है अन्यथा अवैतनिक होगे जिनका पेषन की अवधि के लिए सक्षम स्वीकृति होने पर गणना की जायेगी अन्यथा पूर्व की सेवाएॅं जब्त की जा सकेगी ।
 इसलिए अध्ययन अवकाष स्वीकृत होने पर ही प्रस्थान करे जिसके लिए प्राधिकृत अधिकारी को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर स्वीकृति प्राप्त करे ।
 अकादमिक परीक्षाओ ंके लिए कार्यालयाध्यक्ष को जुलाई माह में सूचित किया जाना चाहिए । उच्चाधिकारियों की स्वीक्ृति आवष्यक नही ।
 अध्ययन अवकाष में अर्द्धवेतन अवकाष दिया जायेगा अध्ययन अवकाष के साथ अन्य अवकाष स्वीकृत किये जाने पर अवकाष की प्रकृति के अनुरूप वेतन मिलेगा। सेवा नियम 113 (2)
 कर्मचारी को किसी प्रकार का अध्ययन भत्ता नही मिलेगा यदि वह अध्ययन अवकाष वेतन प्राप्त करता है ।
 विषेष परिस्थिति में छात्रवृति की राषि मिलाकर भी अध्ययन भत्ते से कम हो तब राज्य सरकार उपयुक्त समझे तो अध्ययन भत्ता स्वीकृत कर सकती है । सेवा नियम 19
 विधवा/परित्यक्ता अध्यापिका को अध्ययन अवकाष की स्वीकृति हेतु उपनिदेषक सक्षम नही है । षिविरा/मा/प्रा/संस्था/षिक्षक/एफ/5/1057/98/10-28 दिनांक 11.09.2001
 अस्थायी कर्मचारी को तीन साल की कम सेवा पर अध्ययन अवकाष नही दिया जाना चाहिए । तीन साल बाद जनहित में दिया जायेगा ।
 पदोन्नति एवं पेंषन के लिए अध्ययन अवकाष की अवधि के रूप में गिना जायेगा । नियम 121
 बन्ध पत्र अध्ययन अवकाष- में राज्य कर्मचारी पर किया गया वेतन आदि का खर्च ब्याज सहित दोगुना वसूला जायेगा यदि वह अध्ययन अवकाष से सेवा में लौटे बिना ही सेवामुक्त हो जाते है या त्यागपत्र दे देते है । (नियम 121 अ)
 सभी प्रकार के अवकाष प्रार्थना-पत्रों में अवकाष कालीन पते के साथ संस्था प्रधान की स्थिति में आपके बाद प्रथम सहायक का नाम व मोंबाईल नम्बर अवष्य लिखे ।
 वर्तमान व्यवस्था के अनुरूप उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालयों के संस्था प्रधानो का अवकाष आदर्ष विद्यालय के संस्था प्रधान/पंचायत प्रारम्भिक षिक्षा अधिकारी को प्रस्तुत किये जायेंगे जिन्हे वे बी. ई. ई. आ.े को अग्रेषित करेंगें । षिक्षको के स्वयं स्वीकृत करेंगें।

 

विशेष  नोट- आधिकारिक सन्दर्भ के लिए मूल नियम देख ले ।

 

 

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